मध्य प्रदेश में इस बार की दीपावली पर प्रदेश के जिलों में बड़ा बदलाव नजर आया। इसे प्रधानमंत्री के लोकल फॉर वोकल के नारे का असर मानें या आमजन में चीन के प्रति बढ़ती तल्खी या फिर स्वदेसी अपनाने के लिए चलाए जा रहे अभियान का असर। मंदसौर जिले में इस बार दीपावली पर 25 लाख से अधिक मिट्टी के दीये बिके हैं। लोगों ने रंग-बिरंगी लाइट की सीरीज के बजाय मिट्टी के दीये अधिक खरीदे हैं। कई सालों से दीपावली पर चाइनीज लाइट का बाजार अधिक रहा है, लेकिन इस बार इसमें खासी गिरावट है। मंदसौर शहर में लगभग 40 जगह कुम्हार समाजजनों ने मिट्टी के दीयों का निर्माण किया है। एक कारखाने में ही 50 हजार से अधिक दीये बनाए गए। नीमच से भी पांच लाख दीये मंगाए गए थे। अन्य क्षेत्रों से मिट्टी के रंगीन व डिजाइन वाले दीये आए हैं। दीये निर्माताओं के अनुसार पिछले साल मंदसौर में 15 लाख से भी कम दीये बने थे। दीपक विक्रेता सुनील साल्वी ने बताया कि कई सालों से दुकान लगा रहा हूं। इस वर्ष दीयों की मांग अधिक रही। छोटे दीये एक रुपये प्रति और ब़़डे दीये 5 रुपये तक बिके हैं। गत वर्ष छोटे दीये 50 पैसे प्रति नग ही बिके थे। अकेले शहर में ही लगभग 20 लाख दीपक जले।
इंदौर में इस बार दीयों की खपत और बढ़ी है। कोरोबारियों के अनुसार, 25 से 30 लाख की आबादी वाले इंदौर में दीवाली पर्व पर 60 से 70 लाख दीयों की बिक्री हुई है। पिछली बार से ये आंकड़े ज्यादा हैं। इस बार शहर में देसी झालरों का उपयोग बढ़ा है।उज्जैन में इस बार 40 लाख से अधिक दीये बिके हैं। ये गत वर्ष से करीब पांच लाख अधिक हैं। चाइनीज लाइट की मांग भी घटी है।